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भोपाल कोर्ट का ये दृश्य आप मत देखना

भोपाल कोर्ट का ये दृश्य आप मत देखना
ये व्यापमं फर्जीवाड़े के आरोपियों की कतार है... भोपाल कोर्ट का मैन गेट है.... महिलाओं की कतार आ रही है... सबको सादीवर्दी वाले एसटीएफ पुलिस वालों ने घेर रखा है। इस कतार में महिलाएं और युवतियां प्रवेश कर रही हैं... सबके चेहरे ढंके हुए हैं। किसी के साड़ी के पल्लू से तो किसी के दुपट्टे से। चाल-ढाल और कपड़ों से लगता है ये गांव या छोटे शहर की हैं... मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय महिलाएं होंगी। ये सभी संविदा शिक्षा कर्मी हैं.... कुछ और बच्चों का जिक्र करुंगा... ये युवकों की कतार है चुस्त जींस और टीशर्ट है... देखने से रौबीले लगते हैं.. मगर चेहरे पर रुमाल बांधने की कोशिश... जब ये प्रवेश कर रहे हैं तो एक भीड़ है... जो इन्हें देखने को आतुर है.. ये सभी मीडिया वाले हैं.. कैमरामैन और फोटो ग्राफर.. कुछ रिपोर्टरों के हाथ में माईक भी है... आरोपियों की कतार में से कुछ लड़कियां भी हैं... सबकी उम्र 20-22 बरस के आसपास लड़कियों ने जींस और टॉप पहना है... कुछ लड़कियां सलवार सूट भी पहनकर आई हैं। कपड़े फब रहे हैं इन आरोपियों पर। 20-22 साल के ये सभी लड़के-लड़कियां मेडिकल इंट्रेस टेस्ट यानी पीएमटी के आरोपी हैं। इनके पिता भी इसी कतार में है। एक और कतार चली आ रही है... महिलाओं की.. ये भी संविदा शिक्षा कर्मी वाली कतार है... उफ्फ ये क्या.. इनमें से कई महिलाओं की गोद में बच्चे हैं... मांओ ने अपने साड़ी के पल्लू से इनके चेहरे ढंकने की कोशिश की है.. कुछ बच्चे तो पल्लू झटक-झटक कर मां को परेशान कर रहे हैं। एक बच्ची और है.. मां की गोद में... उमर होगी 4-5 साल... खुद एक छोटे से रुमाल से चेहरा ढंकने की कोशिश कर रही है.. बाल गर्दन के नीचे तक आ रहे हैं... रुमाल से नाक को दबा कर रखा है... आंखें देख रही हैं... कैमरे की तरफ कौतूहल से देख रही है वो बच्ची.. उसके लिए ये रोमांच है। बच्ची ने रुमाल हटा कर मुस्कुरा दिया... बेहद खूबसूरत बच्ची... क्यूट... एक कैमरामैन ने तभी क्लिक कर दिया.. मां घबरा गई.. उसने बच्ची का पूरा सिर अपने पल्लू से ढंक दिया.. सिर से पैर तक ढंकी बच्ची को लेकर मां अदालत के गेट से अंदर चली गई.. बच्ची के पैर मां की गोद में लटकते हुए दिखाई दे रहे हैं... उसने सेंडल पहन रखी है। सेंडिल टूट रही है.. लेकिन जेल में शायद मां एक जोड़ी सेंडल ही ले गई होगी... टूट गई तो जुड़ेगी कैसे।
आरोपियों को देखकर नफरत उठती है.. लेकिन इन आरोपियों को देखकर ऐसा नहीं होता। मन कराह उठता है... इन्हें क्या मालूम होगा. .कि पैसा देकर नौकरी पाने या एडमिशन लेने वाले इस युग में ये आरोपी हो जाएंगे। ऐसे सैंकड़ों आरोपी हैं। वीआईपी भी जेल में है। व्यापमं के अधिकारी.. कर्मचारी.. एक मंत्री भी। उन्हें देखकर दर्द का ये भाव नहीं जागता। लेकिन इन आरोपियों की कतार देखकर ऐसा होता है। ये है व्यापमं जिसे मीडिया महाघोटाला कहता है... अदालत में पेशी के दौरान की ऐसी तस्वीर हमेशा देखी जा सकती है। मगर आप मत देखियेगा। मन कराह उठेगा.. व्यवस्था के प्रति। जिस दौर में एक सरकारी दफ्तर का कर्मचारी की जेब गर्म किये काम नहीं होता। सिफारिश के बगैर आपकी समस्या का समाधान मुमकिन नहीं। उस दौर में इन ज़रुरतमंदों का ये हश्र भी होता है। वैसे, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही में तो ऐसा होगा ही। लेकिन इन पहले आरोपियों के बारे में क्या कहियेगा। क्या आप किसी के लिए सिफारिश करेंगे.. .अपने परिवार या किसी ज़रुरत मंद के लिए किसी ओहदेदार के पास सिफारिश करने के लिए जाएंगे। क्या सरकारी दफ्तरों में बिना नोट दिए काम करवा सकेंगे.. सवाल हैं

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