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प्लीज, स्पीक इन हिन्दी...


हिन्दी प्लीज़... डोंट टॉक इन इंग्लिश... वी आर इंडियन... हिन्दी में बात करें.. हिन्दुस्तानी हैं.. तो हिन्दुस्तानी दिखें और हिन्दी बोलें भी...
भई हमारे प्रदेश में विश्व हिन्दी समारोह होने जा रहा है। 10 से 12 सितंबर को यहां हिन्दी की धूम रहेगी... दुनिया भर से लोग आएंगे...
वो लोग भी जिनकी त्वचा तो विदेशी गोरी चिकटी है... लेकिन ज़ुबां से लज़ीज़ हिन्दी टपकती है...
अब ये लोग हिन्दी बोलेंगे तो हम और आप गुड मॉर्निंग थोड़े ही करेंगे... जिस तरह दीवाली पर माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए
पूरे घर को पुतवाकर... चमकाकर... ऐसे सजाया जाता है... जैसे हम गंदगी में रह ही नहीं सकते...
वैसे ही विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए भी तैयारी है... हम सबको हिन्दी बोलना चाहिए...
अपने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद इस तैयारी के लिए न्यू मार्केट की सड़कों पर निकल गए...
लोगों से इल्तजा की कि न्यूमार्केट बोलना छोड़िये.. अब नया बाज़ार कहिये...
दुकानों के अंग्रेजी नाम वाले साइन बोर्ड भी उतार दीजिये... नए पुतवाइये... और हिन्दी में लिखिये..
सरकार ने तो तैयारी शुरु भी कर दी है.. पुलिस कंट्रोल रुम के पास वाले ओवर हैड वॉटर टैंक का रंगरोगन किया गया है... पहले पानी की टंकी बेरंग थी..
नया रंग चढ़ाया गया तो हिन्दी की टेढ़ी-मेढ़ी वर्णमाला उकेर दी गई... विदेशियों को ये वर्णमाला हमारे हिन्दी प्रेम के साथ मॉर्डन आर्ट का एहसास भी कराएगी...
सम्मेलन स्थल यानी लालपरेड मैदान से ये टंकी सीधी दिखाई देती है... वैसे, तैयारी तो ऐसी है कि पूरे शहर के हिन्दी मय किया जाएगा..
वीआईपी रोड पर हिन्दी के स्लोगन लिखे जा रहे हैं... रंगबिरंगी चित्रकारी उकेरी जा रही है... एयरपोर्ट से लेकर पुरानी विधानसभा तक सड़क किनारे की दीवारों पर
कहीं मध्यप्रदेश गान है तो कहीं खूबसूरत कलाकृतियां.. यहां तक कि अफसरों को भी हिदायत दी जा रही है... स्वागत करें तो अभिवादन हिन्दी में हो... नमस्कार।
इस सम्मेलन में हिन्दी पर चर्चा होगी... बोलचाल की हिन्दी... साहित्य वाली हिन्दी... हिन्दी की बदलते दौर और गिरती लोकप्रियता पर भी चर्चा होगी.. वैसे, इस बार का सब्जेक्ट है...
हिन्दी.. विस्तार और संभावनाएं। लिहाज़ा हिन्दी को आगे... और आगे बढ़ाने वाले कसमे-वायदे भी होंगे... भई भोपाल की मेहमाननवाज़ी तो तभी अच्छी कहलाएगी
जब हिन्दी के प्रति प्रेम दिखाएंगे... तो चलिये तैयार हो जाइये.. ऑटो वाले भाइयों.. विश्व हिन्दी सम्मेलन तक मैडम और सर मत कहना ...
महानुभव... बहनजी... मांजी की आदत डालिये... गाड़ियों के नाम हिन्दी में नहीं कर सकते हैं तो छिपा लीजिये... सरकारी अफसरों को भी सीखना पड़ेगा...
आवभगत के वक्त... सर या मैडम कहने से परहेज कीजियेगा... जवाब देने के लिए जी... की आदत तो उन्हें है ही....।
कोट-पैंट से परहेज कीजिये... आईएएस के प्रोटोकॉल वाली ड्रेस को अलमारी से निकाल लीजिये...
मेहमानों के सामने.. कुछ शब्द तो कहियेगा ही नहीं.. मसलन... ट्रेन... ट्रैफिक सिग्नल... व्हील चेयर... ऑटो... लोफ्लोर बस.. कार... इत्यादि-इत्यादि।
इनके हिन्दी तर्जुमे काफी कठिन है... और मेहमानों की आवभगत के वक्त इनके हिन्दी नाम ठीक भी नहीं लगेंगे...
अपने बच्चों को भी कहिये लालपरेड मैदान में आते-जाते या बाजार में खरीददारी करते वक्त ज़रा ध्यान दें...
आसपास टहल रहे हिन्दी विशेषज्ञों के खातिर कुछ दिन गुड मॉर्निंग-गु़ड नाइट भूल जाइये... प्रणाम-नमस्कार की आदत डलवाइये...
बिकॉज़ हिन्दी है हम.... हमारे वतन का गुलसिता भले ही डिफरेंट-डिफरेंट फूलों से सजा हो... लेकिन हिन्दुस्तान की पहचान हिन्दी ही है...
बाद में बच्चों को बता दीजिएगा कि सरकारी या प्राइवेट इंटरव्यू देने जाना हो तो अंग्रेजी का रिवीजन कर लेना...
जब पूरी सरकार और लीडरशिप ही हिन्दी को बढ़ावा दे रही हो तो विपरीत धारा में नहीं बहना चाहिए... इसलिए कुछ दिनों के लिए ही सही...
प्लीज़ स्पीक इन हिन्दी...

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